गोविन्द हरे गोपाल ....
मेरी नैय्या भंवर से उबार ।
मै तो आन पड़ा तेरे द्वार ....
मेरी नैय्या भंवर से उबार ।
१- तेरी माया मै नहीं जाना.....
तुझको मै नहीं पहचाना ।
जब दुःख ने मुझको घेरा.......
मैंने नाम ही तेरा कोसा ।
मेरा जीवन तू दे संवार .....
मेरी नैय्या भंवर से उबार ।
२- दुःख - सुख जीवन की छाया ...
मुझको न समझ ये आया ।
मैंने लोभ से सुमिरा तुझको .....
निस्वार्थ ना ध्यान लगाया ।
तुझे मुझसे है फिर भी प्यार .....
मेरी नैय्या भंवर से उबार ।
गोविन्द हरे गोपाल ....मेरी नैय्या भंवर से उबार ।
----श्रेय तिवारी , मुंबई
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