टूटे हुए प्यालों में जाम नही आता ,
इश्क के मरीज़ को आराम नही आता ।
दिल तोड़ने वाले ये क्यों नही समझते ,
कि टूटा हुआ दिल किसी के काम नही आता ।
आज मै अपना एक गीत (जो एक फ़िल्म के लिए लिखा था ) आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ । आशा करता हूँ कि आप सब लोगों को पसंद आएगा । हम सब उस उम्र से होकर गुज़रे है , जब लव - लैटर लिखे या लिखवाए जाते थे और उन्हें लड़की के घर में अन्दर फेंकने कि कोशिश की जाती थी । वो लैटर यदि लड़की के हाथ पड़ गया तो आपकी किस्मत आपका साथ दे गई , अन्यथा किसी और को मिला तो क्या हो सकता है ....... वो आप इस गीत में पढ़िए ।
अब कल क्या होने वाला है , लव लैटर उसको डाला है ।
ससुरा तो ढीला ढाला है , पर साला मोटा - ताज़ा है ।
लैटर पायेगी सासू , आंखों में होंगे आंसू ।
लैटर पायेगा ससुरा , टेंशन में बेड पे पसरा ।
लैटर पायेगी साली , मुख पर होगी हरियाली ,
लैटर पायेगा भाई , जल भुन चिंघाड़ लगाई
तोड़ - फोड़ रख दूंगा उसको कौन सा हिम्मत वाला है ,
अब कल क्या होने वाला है , लव लैटर उसको डाला है ।
ससुरा तो ढीला ढाला है , पर साला मोटा - ताज़ा है ।
वो घर से जब निकलेगी , एक गार्ड साथ में आए ।
चाहे वो उसका भाई चाहे मम्मी ही चली आए ।
मै कैसे बोलूं उसको मै भी तेरा दीवाना ,
मेरा कुछ हाल समझ ले मिलने नुक्कड़ पे आना ।
पागल सा कर गई वो मुझको कैसा जादू डाला है ,
अब कल क्या होने वाला है , लव लैटर उसको डाला है ।
ससुरा तो ढीला ढाला है , पर साला मोटा - ताज़ा है ।
तू मुझको चाहे जानी , क्यों भाई से डरती है ,
इतना डर इतना पहरा क्यों भाई से करती है ।
साले जी तुमने तो भी कभी प्यार किया तो होगा ,
और उस प्यार में तुमने लैटर भी लिखा होगा ।
फिर गैंडे तू मेरे प्यार में करता गड़बड़ झाला है ....
अब कल क्या होने वाला है , लव लैटर उसको डाला है ।
ससुरा तो ढीला ढाला है , पर साला मोटा - ताज़ा है ।
----श्रेय तिवारी , मुंबई
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