किसकी करें ये बात, किससे कहें ये बात,
गिरते इस देश को बचाने वाला कौन है ।
राजनीती गौण बुद्धजीवी यहाँ मौन,
और जनता बेचारी को तो सुनता ही कौन है।
पीडितों, गरीबों, असहाय जनता का यहाँ ,
हाल चाल लेने और देने वाला कौन है ।
जाति धर्म , क्षेत्र और भाषा के हो गए सभी,
आदमी को आदमी बनाने वाला कौन है ।
राजनीती गौण बुद्धजीवी यहाँ मौन,
और जनता बेचारी को तो सुनता ही कौन है।
कैसा आया लोकतंत्र , व्यवसाय राजनीती ,
लाभ का बना ये तंत्र सेवा करे कौन है ।
भीड़ कहें भेड़ कहें , जनता को जो भी कहें,
भेड़ियों से हमको बचाने वाला कौन है ।
राजनीती गौण बुद्धजीवी यहाँ मौन,
और जनता बेचारी को तो सुनता ही कौन है।
जोड़े तोडे गठजोड , राजनीती है विचित्र मोड़,
सीधे रास्ते पे इन्हें लाने वाला कौन है ।
डरपोक बुद्धजीवी लिपटा है स्वार्थ में तो ,
कीचड में कमल खिलाने वाला कौन है ।
राजनीती गौण बुद्धजीवी यहाँ मौन,
और जनता बेचारी को तो सुनता ही कौन है।
गाँधी और नेहरू का नाम लेते भ्रष्टाचारी ,
गुमराहियों से अब बचाने वाला कौन है ।
रावणों के वंशज और जयचंदों के लाल है ये,
इनसे निजात भी दिलाने वाला कौन है ।
किसकी करें ये बात, किससे कहें ये बात,
गिरते इस देश को बचाने वाला कौन है ।
राजनीती गौण बुद्धजीवी यहाँ मौन,
और जनता बेचारी को तो सुनता ही कौन है।
----------श्रेय तिवारी , मुंबई
Sunday, June 22, 2008
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