मेरा भारत कहाँ गया मै ढूंढ़ रहा बाज़ारों में ,
वतन बेचने वाले बैठे संसद के गलियारों में ।
१- आजादी के लिए लडाई लड़ी यहाँ धनवानों ने ,
गांधी , नेहरू , बोस बहादुर जैसे इन दीवानों ने ।
वतन हुआ आजाद आज भूखे - नंगों को सौंप दिया ,
अपने घर भरके, कटार तो जनता के ही भौक दिया।
क्या इनको है नहीं दिखायी देती देश की लाचारी ,
दीन दुखी का भोजन , शिक्षा और भयानक बीमारी ।
हम तो अपनी इनकम में से सारे टैक्स चुकाते है ,
मुद्राकोष बहुत होता , पर वो सब कुछ खा जाते है ।
क्यों भूला बैठा , क्या क्या मेरे अधिकारों में ,
वतन बेचने वाले बैठे संसद के गलियारों में ।
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