Wednesday, July 30, 2008

मेरा भारत कहाँ गया मै ढूंढ़ रहा बाज़ारों में ,

वतन बेचने वाले बैठे संसद के गलियारों में ।

१- आजादी के लिए लडाई लड़ी यहाँ धनवानों ने ,

गांधी , नेहरू , बोस बहादुर जैसे इन दीवानों ने ।

वतन हुआ आजाद आज भूखे - नंगों को सौंप दिया ,

अपने घर भरके, कटार तो जनता के ही भौक दिया।

क्या इनको है नहीं दिखायी देती देश की लाचारी ,

दीन दुखी का भोजन , शिक्षा और भयानक बीमारी ।

हम तो अपनी इनकम में से सारे टैक्स चुकाते है ,

मुद्राकोष बहुत होता , पर वो सब कुछ खा जाते है ।

क्यों भूला बैठा , क्या क्या मेरे अधिकारों में ,

वतन बेचने वाले बैठे संसद के गलियारों में ।

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