Monday, September 8, 2008

मैंने पूछा मृत्यु से....!!

दोस्तों ,एक बार मैंने कल्पना की ! कि यदि मौत आने से पहले किसी भी इंसान को जीने का एक अवसर (कुछ पलों के लिए) दे, तो उन पलों में कोई भी व्यक्ति क्या - क्या करना चाहेगा .......!!


मैंने पूछा मृत्यु से ........ साथ ले चलने से पहले एक मौका दे सकोगी ।


१- उस एक मौके में मुझे कुछ काम हैं अपने बनाने ,
पाप का जीवन रहा है , पुण्य कर लूँ इस बहाने ।
स्वर्ग की राहें किधर है , पंडितों से थी समझना ,
पुत्र का मुख देखना था , ज़िंदगी की थी तमन्ना ।
छोटी है बच्ची मेरी करनी, भरण - पोषण व्यवस्था ,
बीबी है बीमार सी , उसकी ही नाज़ुक सी अवस्था ।
छान, छत, कुटिया बनाकर , कुछ तो दूँ उसको बसेरा,
बस ये इच्छा आख़िरी, उनका सुनहरा हो सवेरा ।


क्या तुम बता दो एक पल मुझ पर भरोसा कर सकोगी .......
मैंने पूछा मृत्यु से साथ ले चलने से पहले एक मौका दे सकोगी ।


२- उस एक मौके में मुझे बेटी के पीले हाथ करने ,
उच्च शिक्षा के लिए बेटों को भेजूंगा मै पढ़ने ।
फिर वधु का सुख मुझे बस देखना रहता ही बाकी ,
तृप्त होता ही नही इच्छा की मदिरा से ये साकी ।
सोचता है, फिर करूँ दीदार नन्हे पौत्र का मै ,
खेल खेलूं साथ उसके , साथ खाना खाऊँगा मै ।
तोतले मुख से मै 'दादा' शब्द का भी श्रवण कर लूँ ,
साथ बीबी के मै चारों धाम का भी भ्रमण कर लूँ ।


क्या तुम बता दो फिर मुझे काशी मै आके मिल सकोगी .............
(ऐसा माना जाता है कि काशी मै मृत्यु होने से इन्सान स्वर्ग में जाता है )
मैंने पूछा मृत्यु से ........ साथ ले चलने से पहले एक मौका दे सकोगी ।


अब मृत्यु ने इंसान को क्या जबाब दिया ....वो सुनिए .....


३- दे दिया तुझको जो मौका , फिर तो हा - हा कार होगी,
इस धरा पर तुच्छ मानव की उफनती बाढ़ होगी ।
फिर तो शायद ही कभी तू , मृत्यु से भयभीत होगा ,
काल की आहट, तुझे तो मात्र एक संगीत होगा ।
मै तुझे पहचानती , इंसान नीयत भी तुम्हारी ,
जब समय आएगा , तब तू फिर बढ़ाएगा उधारी ।
दस बहाने नित बना , मुझको भी धोखा दे चलेगा ,
मै नही , यमराज भी तुझको ना मौका दे सकेगा ।


इसलिए मै अब तुझे ना और अवसर दे सकूंगी ,
और मै न खाऊँगी तुझे , तो मै न जिंदा रह सकूंगी ।

---------श्रेय तिवारी , मुंबई

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