Friday, January 9, 2009

रिश्ते ...!!

प्यारे दोस्तों
ये कविता मैंने मेरे देश की बेटियों के लिए लिखी है , और यदि मेरी यह कविता किसी भी बेटी और बहन के अंतर्मन को झकझोरते हुए उसकी आँखों में अश्रु की एक बूंद या भावनाओं का सैलाब लेकर आती है , तो मै समझूंगा मेरा कविता लिखना सफल हो गया ।
ये रिश्ते , ये रिश्ते , ये कैसे है रिश्ते ?
ये किसने बनाये है ममता के रिश्ते ।
१- मै नन्ही कली, तेरी बगिया में आई ,
मेरी माँ ने मुझको थी लोरी सुनायी ।
वो पापा का घोड़ा बनाकर खिलाना ,
वो उंगली पकडके यूँ चलना सिखाना ।
मेरे जन्म दाता है मेरे फ़रिश्ते ,
ये किसने बनाये है ममता के रिश्ते ।
२- वो राखी के आते ही सजना संवरना ,
तो भाई से तोहफे की जिद रोज करना ।
मै रुठुं तो मुझको वो हंसके मनाये ,
मुझे प्यार से छुटकी कहके बुलाये ।
अरे ऐसे बंधन नही होते सस्ते ,
ये किसने बनाये है ममता के रिश्ते ।
३- न जाने कली से बनी फूल कैसे ,
समय सब गुज़ारा हो चुटकी में जैसे ।
बनी आज पापा के कंधे का बोझा ,
कहे दूजे घर को तू तैयार हो जा ।
चली मै तो बाबुल के घर से सिसकते ,
ये किसने बनाये है ममता के रिश्ते ।
४- बहुत से घरों को मै मनहूस छाया ,
मेरी माँ ने जाना तो गर्भ गिराया ।
ऐ माँ मै बता कैसे बेटे से कम हूँ ,
बुढापे की लाठी बनूँ मै क्या कम हूँ ।
परी बनके आँगन में हम भी चहकते ,
ये किसने बनाये है ममता के रिश्ते ।
------श्रेय तिवारी , मुंबई

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