Tuesday, June 23, 2009

भजन ..!!

गोविन्द हरे गोपाल ....

मेरी नैय्या भंवर से उबार ।

मै तो आन पड़ा तेरे द्वार ....

मेरी नैय्या भंवर से उबार ।

१- तेरी माया मै नहीं जाना.....

तुझको मै नहीं पहचाना ।

जब दुःख ने मुझको घेरा.......

मैंने नाम ही तेरा कोसा ।

मेरा जीवन तू दे संवार .....

मेरी नैय्या भंवर से उबार ।

२- दुःख - सुख जीवन की छाया ...

मुझको न समझ ये आया ।

मैंने लोभ से सुमिरा तुझको .....

निस्वार्थ ना ध्यान लगाया ।

तुझे मुझसे है फिर भी प्यार .....

मेरी नैय्या भंवर से उबार ।

गोविन्द हरे गोपाल ....मेरी नैय्या भंवर से उबार ।

----श्रेय तिवारी , मुंबई

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