Wednesday, November 18, 2009

भारत का भविष्य ...!!

भोर हुआ सूरज भी सर पर चढ़ आया
चैत्र महीने की तपती गरमी लाया ।
गिरती थी माथे से बूंद पसीने की ,
पर उसको ज्यादा थी परवाह जीने की ।


गर्म हवाएं चलती तन ना थकता हो ,

पीकर पानी चेहरा जहाँ चमकता हो ।

सौ में से पचपन (५५%) में ऐसा होता है ,

जिनके घर में नन्हा बचपन रोता है ।


भूख बुझी हो जिनकी केवल पानी से ,

रात कटी हो सुनते एक कहानी से ।

रात का सपना सुबह की रोटी जिसका हो ,

बिन बोले आंखों से दर्द टपकता हो ।


ज़िम्मेदारी से झुकते जिनके कंधे ,

मेहनत करते, करते नही ग़लत धंधे ।

रोटी एक मिली तो आधी वो खाए ,

गमझे में बांधे आधी वो घर लाये ।


रोटी ही जिनके भविष्य की पूंजी हो ,

सुबह शाम बस रोटी की ही सूझी हो ।

आधा पेट भरा सोये खर्राटों में ,

संतुष्टि दिखती हो उनकी बातों में ।


बाप बेचारा लगता हो असहाय दुखी ,
माँ जिसकी बीमारी से हो बुझी - बुझी ।
स्तन से जिसके न दुग्ध निकलता हो ,
गोद में लेटा बच्चा पड़ा बिलखता हो ।


क्या ये ही भारत के उज्जवल सपने हैं ,

मुंह मत फेरो इनसे ये सब अपने हैं ।

कैसी है मायूसी चेहरों पे देखो ,

अपने बच्चों की सूरत इनमें देखो ।


आओ हम सब मिलकर एक कसम खाएं ,

इन नन्हों को मुफ्त में शिक्षा दे पायें ।

शिक्षा से ही इनका जीवन सुधरेगा ,

और इनसे भारत का चेहरा बदलेगा ।

---श्रेय तिवारी , मुंबई
Mobile: +919867590757

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