Sunday, November 22, 2009

लव लैटर के रंग ...!!

टूटे हुए प्यालों में जाम नही आता ,
इश्क के मरीज़ को आराम नही आता ।
दिल तोड़ने वाले ये क्यों नही समझते ,
कि टूटा हुआ दिल किसी के काम नही आता ।

आज मै अपना एक गीत (जो एक फ़िल्म के लिए लिखा था ) आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ । आशा करता हूँ कि आप सब लोगों को पसंद आएगा । हम सब उस उम्र से होकर गुज़रे है , जब लव - लैटर लिखे या लिखवाए जाते थे और उन्हें लड़की के घर में अन्दर फेंकने कि कोशिश की जाती थी । वो लैटर यदि लड़की के हाथ पड़ गया तो आपकी किस्मत आपका साथ दे गई , अन्यथा किसी और को मिला तो क्या हो सकता है ....... वो आप इस गीत में पढ़िए ।

अब कल क्या होने वाला है , लव लैटर उसको डाला है ।
ससुरा तो ढीला ढाला है , पर साला मोटा - ताज़ा है ।

लैटर पायेगी सासू , आंखों में होंगे आंसू ।

लैटर पायेगा ससुरा , टेंशन में बेड पे पसरा ।

लैटर पायेगी साली , मुख पर होगी हरियाली ,

लैटर पायेगा भाई , जल भुन चिंघाड़ लगाई

तोड़ - फोड़ रख दूंगा उसको कौन सा हिम्मत वाला है ,

अब कल क्या होने वाला है , लव लैटर उसको डाला है ।
ससुरा तो ढीला ढाला है , पर साला मोटा - ताज़ा है ।

वो घर से जब निकलेगी , एक गार्ड साथ में आए ।

चाहे वो उसका भाई चाहे मम्मी ही चली आए ।

मै कैसे बोलूं उसको मै भी तेरा दीवाना ,

मेरा कुछ हाल समझ ले मिलने नुक्कड़ पे आना ।

पागल सा कर गई वो मुझको कैसा जादू डाला है ,

अब कल क्या होने वाला है , लव लैटर उसको डाला है ।
ससुरा तो ढीला ढाला है , पर साला मोटा - ताज़ा है ।

तू मुझको चाहे जानी , क्यों भाई से डरती है ,

इतना डर इतना पहरा क्यों भाई से करती है ।

साले जी तुमने तो भी कभी प्यार किया तो होगा ,

और उस प्यार में तुमने लैटर भी लिखा होगा ।

फिर गैंडे तू मेरे प्यार में करता गड़बड़ झाला है ....

अब कल क्या होने वाला है , लव लैटर उसको डाला है ।
ससुरा तो ढीला ढाला है , पर साला मोटा - ताज़ा है ।

----श्रेय तिवारी , मुंबई

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