Thursday, May 1, 2008

बेटियाँ !!

जब सुना की रिश्ता हो गया है मेरी बहिना का ,
खुश हुआ मैं यूं की मेरी सूनी आँख रो पड़ी ....!!
याद आ रहा था मुझको क्या हमारा बचपना था,
होली खेली साथ और दीवाली छोड़ी फुलझड़ी...!!
१- काश लौट आए दिन वो बचपने के खेल के ,
कि मेरी बेईमानियों पे रूठती थी तू बड़ी......!!
और मैं मनाता था तुझे कर दे न शिकायत मेरी,
पर तू शिकायत करके ही खुश होती थी बड़ी बड़ी॥!!
जब सुना की रिश्ता हो गया है मेरी बहिना का ,
खुश हुआ मैं यूं की मेरी सूनी आँख रो पड़ी ....!!
याद आ रहा था मुझको क्या हमारा बचपना था,
होली खेली साथ और दीवाली छोड़ी फुलझड़ी...!!
२- हे प्रभु ये बेटियाँ पराया धन बनी है क्यों ?
जो जन्म से पिता के घर मे शान से पली बढ़ी !!
और आज जबकि भाइयों के प्यार मे है लड़-चढी,
तो जन्म ले के दूसरा , वो दुसरे के घर चली ॥!!
जब सुना की रिश्ता हो गया है मेरी बहिना का ,
खुश हुआ मैं यूं की मेरी सूनी आँख रो पड़ी ....!!
याद आ रहा था मुझको क्या हमारा बचपना था,
होली खेली साथ और दीवाली छोड़ी फुलझड़ी...!!
३- एक छींट भी कभी न आए तेरी आन पे ,
कि भाई है वही कि जो लगा दे जान की बलि !!
और राखी कि पवित्रता का मान रखूं शान से,
कि मेरे सुख भी तेरी झोलियों मी जायें हर घड़ी !!
जब सुना की रिश्ता हो गया है मेरी बहिना का ,
खुश हुआ मैं यूं की मेरी सूनी आँख रो पड़ी ....!!
याद आ रहा था मुझको क्या हमारा बचपना था,
होली खेली साथ और दीवाली छोड़ी फुलझड़ी...!!

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