Wednesday, May 21, 2008
मेरे कॉलेज के दिन ....!!
कैसे भूलूं मैं तुझको सदा के लिए ,
मेरे जीवन मे जिसने ज़लाये दिए ।
१- मुझको याद आते है , मेरे कॉलेज के दिन,
हम तो रहते ना थे , एक दूजे के बिन।
होके एक पल जुदा , हम तड़प जाते थे ,
एक पल मे ही आंसू निकल आते थे ।
याद कर उन पलों को ही हम तो जिये ,
कैसे भूलूं मैं तुझको सदा के लिए ,
मेरे जीवन मे जिसने ज़लाये दिए ।
२- झूठे से हाथ देखा था मैंने यूं ही ,
तेरी गोरी कलाई थी थामी यूं ही।
एक से एक थी हंसीं तेरी हर एक अदा,
सोचता था तू मेरी रहेगी सदा ।
फ़िर कयों इतने सितम तूने हम पर किए ,
कैसे भूलूं मैं तुझको सदा के लिए ,
मेरे जीवन मे जिसने ज़लाये दिए ।
३- प्यार दिल का है सौदा ना दौलत का है ,
यूं ही बन जाता रिश्ता मोहब्बत का है।
तुम हो धनवान, दिल मेरा अनजान था,
वो तो दिल पर तुम्हारे मेहरबान था ।
ले लो सुख मेरे, दुःख दे दो मुझको प्रिये
कैसे भूलूं मैं तुझको सदा के लिए ,
मेरे जीवन मे जिसने ज़लाये दिए ।
-----------श्रेय तिवारी , मुम्बई
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1 comment:
सबकुछ बहुत उम्दा. लिखते रहिये. और भी अच्छा लिखे, कामना करते हैं. शुभकामनायें.
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उल्टातीर: ultateer.blogspot.com
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