Sunday, May 18, 2008

ये उसके लिए ...!!

मैं चाहता हूँ उनसे नजदीकियां बढ़ाना ,
दिल मुस्कुरा के लूटे , चाहे ना पास आना ।


1- पहली नज़र मे ही वो चुरा ले गई दिल को ,
नाम लिया बस उसका साँझ , सवेरे दिन को ,
जब भी नज़र मिलाई, गालों पे सुर्खियाँ थी,
शरमाई कुछ लजाई नैनो की पुतलियाँ थी ,


मिलने को कैसे बोलूं , क्या मे करूँ बहाना .
मैं चाहता हूँ उनसे नजदीकियां बढ़ाना ,


2- काली घटा का काजल नैनो मै है लगाती,
सावन के मेघ को वो केशों से है बहाती..,
दांतोंसे तब दबाये , चुन्नी का एक टुकडा ,
शर्मा के वो छुपाये चन्दा के जैसा मुखड़ा ,


कैसे उसे मना लूँ , आता नही रिझाना..,
मैं चाहता हूँ उनसे नजदीकियां बढ़ाना ,


3- सूखा है रेत मन का , नदिया जरा बहा दो,
सूना पड़ा बगीचा , कलियाँ भी अब खिला दो .
मरता हूँ मैं तो उसकी , नाज़ुक सी सादगी पे ,
मांगू मैं बस खुदा से , आए वो जिंदगी मै ।


प्रभु प्रार्थना है मेरी , संजोग कुछ बनाना ,
मैं चाहता हूँ उनसे नजदीकियां बढ़ाना ,

दिल मुस्कुरा के लूटे , चाहे ना पास आना ।

----श्रेय तिवारी, मुम्बई

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