Tuesday, May 20, 2008

मेरा भारत महान कैसे है (व्यंग्य)....!!

मैं आज अपनी सबसे बड़ी रचना आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ । यदि आप हिन्दी साहित्य को पढने का शौक रखते है , तो मैं वादा करता हूँ कि आपको ये रचना ज़रूर पसंद आयेगी । और आप मुझे अपने कमेंट्स के द्वारा प्रोत्साहित करेंगे । एक तरफ हम कहते है कि मेरा भारत महान है । पर मैंने कुछ बातें नोट की है ...और मैंने ये व्यंग्य किया है ....कि क्या इस तरह ही मेरा भारत महान है .....!!

मत सोवो अब जागो यारो , तुम्हे जगाने आया हूँ ,
भारत कैसे है महान , बस यही बताने आया हूँ ।

हमने ये नारा चलाया कि हिंदू ,मुस्लिम, सिख इसाई, आपस मे है भाई भाई ... पर हमने ये कैसे अपनाया.......

1- हिंदू , मुस्लिम , सिख इसाई , आपस मे है भाई -भाई,
हिंदू है हिंदू का भाई , मुस्लिम मुस्लिम का है भाई ।
सन सैतालिस से लेकर हमने यही पंक्तियाँ है गाईं ,
फिर भी मेरे देशवासियो हमे एकता ना आई ॥

मुझको है अहसास मेरी धरती माँ , तेरे छालों का ,
ले लूँगा मैं गिन गिन के , बदला तेरे अपमानों का ।
मैं वो कायर नहीं जो तेरी लाज बचा ना पाऊंगा ,
तेरी खातिर भगत सिंग, आजाद , बोस बन जाऊंगा !
जो मेरी धरती पर करते है सौदा तलवारों का ,
कोई मतलब नही जिन्हें , करुणामय चीख पुकारों का !
तुझे बेचकर धन लूटा , लेते आनंद बहारों का ,
तेरे चरणों मे ला दूंगा शीश उन्ही गद्दारों का ॥

जर्जर है भारत भूमि , हे वीरो तुम्हें पुकार रही ,
देश -भक्त तुम कहाँ छिपे , सबके सब तो गद्दार नही ।
श्रेय तिवारी , वतन की झोली मैं जीवन दे जाएगा ,
कतरा कतरा मेरे तन का काम देश के आएगा ।
अपने मन की पीडा को मैं खुल के गाने आया हूँ ,

भारत कैसे है महान , बस यही बताने आया हूँ ॥

2- हे भारत के नेताओ तुम नमक देश का खाते हो ,
अर्थ व्यवस्था का ढांचा कमज़ोर तुम्ही कर जाते हो ।
घोटाले करते करते , तुम नमक हरामी करते हो ,
फिर भी खादी पहन दिखा , सच्चे नेता तुम बनते हो

नमक के लिए बलिदान कैसे किया जाता है ...अब ये पढिये ........!!

नमक की खातिर ही पन्ना ने चंदन का बलिदान किया,
नमक की खातिर ही राणा ने वर्षों वन मे वास किया ।
अति का अंत सुनिश्चित है , एक दिन ऐसा भी आएगा ,
नई क्रांति होगी भारत मे नेता ना जी पायेगा ।

भारत माँ का हर बच्चा तेरी करतूतें जान गया ,
देश के रक्षक ही भक्षक है , जन समूह पहचान गया ।

अब मैं नयी पीढी को बोलता हूँ ॥

ऐ नन्हें वीरो तुम राही हो पथरीले राहों के ,
संभल संभल के चलते जाना , भड़कीले अंगारों पे ।
अरे देश के नवदीपक तुम बुझे बुझे से मत रहना ,
एक एक मिलकर रहना , इस धरती का हो तुम गहना ।
मुझे यकीं तुम आज के नेता कि पहचान बदल दोगे ,
धरती माँ के घावों मे प्रगति का मरहम भर दोगे ।
मैं एक छोटा सा कवि हूँ उत्साह बढ़ाने आया हूँ ,

भारत कैसे है महान बस यही बताने आया हूँ ।

3- कैसा भारत देश यहाँ पर , मानव भूखा सोता है ,
एक रोटी की खातिर बच्चा , आंसू से मुंह धोता है ।
कहीं पड़े है सेठ लखपती कहीं हाल ये होता है ,
इस अन्तर को देख मेरा मन सिसकी लेकर रोता है ।
हे प्रभु मुझको दो सद्बुद्धि , मैं जो कुछ बन जाऊंगा ,
मैं जो भी कुछ पाउँगा , मानवता को दे जाऊंगा ।
हर बन्दे को पाठ प्रेम का सिखा पढ़ा कर जाऊंगा ,
अंहकार हरना मेरा , मैं सेवा करता जाऊंगा ॥

याद मुझे है मैं बापू के अरमानों का सपना हूँ ,
भ्रष्ट नीच गद्दार नहीं भारत माँ तेरा अपना हूँ ।
तू मुझको आदेश करे मैं जीवन भी दे जाउंगा ,
आने वाली पीढी को मैं यही बात सिखालाऊंगा ।
हे भारत वीरो मत डरना इसे बलिदानों से तुम,
जीने की तमन्ना दिल मैं है तो पहले मरना सीखो तुम ।
हिम्मत व्यर्थ नही जायेगी , नई क्रांति आ जायेगी ,
भारत माँ , इसे वीरो पर गर्वित हो मुस्कायेगी ।
नई क्रांति की वीरो चिंगारी को देने आया हूँ ,

भारत कैसे है महान बस यही बताने आया हूँ ।

ये पंक्तियाँ मैंने उन माताओं के लिए लिखी है जो गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रा साउंड से जांच कराती है ..और यदि उन्हें ये पता चलता है , गर्भ मे लडकी है , वो गर्भ पात करा देती है ॥


4- लक्ष्मी बाई की गाथा झाँसी मे गाई जाती है ,
वीर शिवाजी की माता , जिजाबाई कहलाती है ।
सीता भी तो नारी थी क्यो देवी मानी जाती है ,
माँ तू भी एक नारी है , फिर भी न तू शर्माती है ।
पुत्र ही कुल का दीपक कथनी , कैसे सच हो सकती है,
पुत्र तेरे जो कर सकते है , पुत्री भी कर सकती है ।
त्याग हमेशा करती नारी , समझ मुझे जब आती है ,
मेरे अंतर्मन की पीड़ा , रो रो कर चिल्लाती है ॥


माँ धरती पर आ चुकी है ...क्योकि उसकी माँ ने उसे नही मारा .....!!

धरती पर तू आ बैठी , क्यो घ्रणित कृत्य कर जायेगी ,
पुत्री नही रहेगी फिर धरती सूनी हो जायेगी ।

(अब नन्ही बच्ची माँ से प्रार्थना करती है )

करे प्रार्थना मारो मत माँ, मैं धरती पर आउंगी ,
हत्यारी मत बन मेरी , मैं भी तेरा वंश चलाउंगी ।
कैसे कैसे मैं समझाऊं अपने देश की नारी को ,
गर्भ मे ही पुत्री मरवा दे उस माँ अत्याचारी को ।
पुत्री पुत्र एक समझोगे तो कुछ प्रगति हमारी हो ,

एक पुत्री भी बचा सके कविता तेरी सफल तिवारी हो ।
हत्यारी माताओं को कुछ शिक्षा देने आया हूँ ,


भारत कैसे है महान बस यही बताने आया हूँ ।

-----श्रेय तिवारी , मुम्बई

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